Friday, November 18, 2011


मल्टीलेबिल पार्किंग का निर्माण कार्य तेज

Nov 19, 12:55 am
गाजियाबाद, वरिष्ठ संवाददाता : पुराने शहर में पार्किंग की समस्या से निजात के लिए रमतेराम रोड पर मल्टीलेबिल पार्किंग व कॉमर्शियल कांप्लेक्स के निर्माण कार्य में तेजी आ गई है। यह तेजी प्रमुख सचिव नगर विकास दुर्गा शंकर मिश्रा के निर्देश के बाद आई है। दुर्गा शंकर मिश्रा ने पिछले दिनों प्रदेश के सभी नगर निगमों के अधिकारियों के साथ बैठक कर निर्माण कार्यो में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।
क्या है योजना
रमतेराम रोड-जीटी रोड पर नगरनिगम ने पार्किंग की समस्या से निबटने के लिए मल्टीलेबिल पार्किंग तथा व्यावसायिक भवन बनाने का निर्णय लिया था। इसके लिए जो स्थान चिह्नित किया गया है, उस पर नगर निगम के स्टाफ क्वार्टर बने हुए थे। कड़ी मशक्कत से नगरनिगम ने इन भवनों को तुड़वाया और करीब चार माह पूर्व कार्य शुरू हुआ। यह इमारत चार मंजिला बनाई जा रही है। इसमें पहले दो मंजिलों पर 200 वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था होगी, जबकि ऊपरी दो मंजिलों पर दुकानें व शोरूम बनाए जाएंगे। प्रत्येक मंजिल पर 28-28 दुकानें तथा दो-दो शोरूम बनाए जाएंगे।
किस क्षेत्र को होगा लाभ
पुराने शहर के प्रमुख बाजार घंटाघर, अग्रसेन बाजार, चौपला, अनाज मंडी, गंदा नाला, तुराबनगर, रमतेराम रोड, नया गंज, पुरान गंज, डासना गेट, दिल्ली गेट, सब्जी मंडी, रेलवे रोड, बंजरिया आदि क्षेत्र में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। इससे लोग अपने वाहन बाजारों के बीचों-बीच तथा दुकानों के सामने खड़े कर देते हैं। जो जाम का कारण बनते हैं। मल्टीलेबिल पार्किंग में दो सौ कार एक साथ खड़ी करने की व्यवस्था है। नगर निगम अधिशासी अभियंता डीके त्यागी का कहना है कि स्थानीय बाजारों में अधिकतम 50 लोग अपनी गाड़ियों से आते हैं। इसके बाद भी 150 गाड़ियां खड़ी करने का स्थान यहां पर रहेगा। इस लिए उन्हें लगता है कि पार्किंग शुरू होने के बाद पुराने शहर में पार्किंग की समस्या न के बराबर रहेगी।
दुकानदारों को देना होगा मासिक शुल्क
दुकानदारों को इसपर अपना वाहन पार्किंग करने के लिए मंथली शुल्क वसूला जाएगा। जबकि जो लोग बाजारों में आएंगे उन्हें रोजाना ही शुल्क अदा करना होगा।
लोगों को मिलेगी राहत : नगर आयुक्त
नगर आयुक्त बसंत लाल का कहना है कि यह बिल्डिंग 5824 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनाई जा रही है। इसमें 23.639 करोड़ रुपये की लागत आएगी। फिलहाल आधी बिल्डिंग को निर्माण कार्य लगभग अंतिम चरण में है। बहुत जल्द बाकी बचे हिस्से का निर्माण कार्य भी पूर्ण कर लिया जाएगा। उनका कहना है कि अगले दो तीन माह में इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।

वैशाली ग्रीन बेल्ट पर भी हो रहा है अवैध निर्माण

Nov 19, 12:56 am
गाजियाबाद, वरिष्ठ संवाददाता : दिल्ली से सटी वैशाली में जमीन के दाम आसमान छूने के साथ यहां ग्रीन बेल्ट पर भी बिल्डरों की निगाह पड़ गयी। इसका नतीजा रहा है यहां भूखंडों पर निर्माण होने के साथ ग्रीन बेल्ट पर भी निर्माण होने लगा। अवैध निर्माण ने बिल्डरों के हौसले इतने बुलंद कर दिए कि उन्होंने भूखंडों पर निर्माण के साथ ग्रीन बेल्ट की जमीन को भी नहीं छोड़ा। जिन बिल्डरों के आस पड़ोस में ग्रीन बेल्ट की जमीन मिली या तो वहां अवैध निर्माण होने लगा या वहां बिल्डर ने पार्किग बना लिया।
आसमान छूती कीमतों ने बढ़ाया जमीन का मूल्य
दिल्ली के लोगों की मकान के प्रति बढ़ी चाहत ने वैशाली में जमीन की कीमत आसमान पर पहुंचा दी। वर्तमान में यहां 70 हजार से एक लाख रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से जमीन बिक रही है। बढ़ी कीमतों ने यहां फ्लैटों के दाम बढ़ाए ही साथ में अधिक मुनाफा कमाने की होड़ में बिल्डरों ने उल्टा सीधा काम शुरू किया। बढ़ी जमीन की कीमतों के कारण बिल्डरों ने आसपास के ग्रीन बेल्ट को घेरना शुरू किया। घेरने के बाद यहां अवैध निर्माण शुरू हो गया।
जीडीए अधिकारियों की मिलीभगत से होता है निर्माण
ग्रीन बेल्ट पर अवैध निर्माण का काम जीडीए अधिकारियों की मदद से होता है। इसके लिए जीडीए अधिकारियों को पटाया जाता है इसके बाद निर्माण की मौन स्वीकृति अधिकारियों द्वारा मिलती है। बिल्डर तय मानचित्र से हटकर थोड़ी जगह बढ़ाकर अवैध निर्माण करना शुरू करता है। लेकिन उसे रोका नहीं जाता है।
ग्रीन बेल्ट को घेरने के हैं कई तरीके
बिल्डरों ने ग्रीन बेल्ट घेरने के लिए कई तरह की युक्तियां लगा रखी है। इनमें भूखंडों को बढ़ाकर निर्माण किया ही जाता है। कई बार सामने पड़ने वाले भूखंडों का बिल्डर पार्किग के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इससे आम लोगों को काफी परेशानी होती है। लोगों का कहना है कि इससे हरि पट्ट्टी समाप्त होते जा रही है।
इस संबंध में जीडीए सचिव नरेंद्र कुमार का कहना है कि ग्रीन बेल्ट पर अवैध निर्माण पर धारा 27 के तहत कार्रवाई की जाती है।

विकास कार्यो से जवाब देगी राज्य सरकार

Nov 19, 12:56 am
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो : दिल्ली सरकार कागजी कॉलोनियों को लेकर हो रहे चौतरफा हमलों का जवाब विकास कार्यो से देगी। सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि शहर की 1018 अनधिकृत कॉलोनियों में चल रहे विकास से संबंधित कार्यो में और तेजी लाई जाए। दिल्ली के शहरी विकास मंत्री राजकुमार चौहान ने शुक्रवार को अनधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्यो को लेकर एक बैठक बुलाई। इसमें डीएसआइआइडीसी, सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग तथा शहरी विकास विभाग के अधिकारियों ने शिरकत की। बैठक में चौहान ने अधिकारियों से कहा कि वे अनधिकृत कॉलोनियों में सड़क, सीवर, नाली आदि के निर्माण के कामों में तेजी लाएं, ताकि इनमें रहने वालों को सहूलियत मिल सके।
दरअसल कागजी कॉलोनियों का मामला सामने आने के बाद सरकार पर हमले तेज हो गए हैं। जानकारों का कहना है कि विपक्ष इसे मुद्दा बनाने की तैयारी में है। नगर निगम चुनाव के मद्देनजर बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यही कॉलोनियां आखिरकार चुनावी नतीजे तय करेंगी। ऐसे में दिल्ली सरकार ने विभिन्न अनधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्यो को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाकर विपक्ष के हमले की धार को कुंद करने की कोशिश शुरू कर दी है।
शहरी विकास मंत्री चौहान ने इस मामले में पूछने पर कहा कि दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही विभिन्न अनधिकृत कॉलोनियों को प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी किए। उन्होंने कहा कि यह शर्त रखी गई थी कि जो कॉलोनियां केंद्र सरकार द्वारा नियमितीकरण के लिए तय मानकों को पूरा करती हों, उनकी आरडब्लूए (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) शपथपत्र देकर प्रोविजनल सर्टिफिकेट हासिल कर सकती हैं। ऐसे में अब सरकार को और कोई सफाई देने की जरूरत नहीं है। चौहान ने कहा कि हमने विभिन्न आरडब्लूए द्वारा दिए गए शपथपत्र के अनुसार उन्हें प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांटे। यदि उन्होंने गलत शपथपत्र पेश किए हैं, तो इसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ेगा।
दिल्ली सरकार के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के साथ हुई बैठक में चौहान ने मुख्यमंत्री के समक्ष यही कहा कि सरकार ने प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी करने में कोई भी गलती नहीं की है। सबकुछ केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत किया गया। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा यही किया जा सकता है कि जिन कॉलोनियों के बारे में शिकायत की गई है, उनकी जांच करा ली जाए और उनको दिया गया सर्टिफिकेट रद करते हुए उनकी आरडब्लूए के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाए। चूंकि यह मामला दिल्ली के लोकायुक्त जस्टिस मनमोहन सरीन के समक्ष भी लंबित है। ऐसे में सरकार यह सुनिश्चित कर लेना चाहती है कि यदि कोई पूछताछ हुई, तो उसका जवाब क्या दिया जाएगा।