Thursday, November 17, 2011


एकल यूनिटों पर बहुमंजिला इमारतों का निर्माण

Nov 17, 08:25 pm

गाजियाबाद, वरिष्ठ संवाददाता
दिल्ली से सटी वैशाली में पचास मीटर से लेकर एक हजार मीटर तक के प्लाट मौजूद हैं। लेकिन इकलौती यही कालोनी है जिसमें शायद ही एकल मकान ढूंढने से मिले। सभी आकार के प्लाटों में तीन से चार मंजिला इमारतें खड़ी हैं। खासकर छोटे प्लाटों पर कई मंजिला इमारतें बनने से सड़कें और सीवर व्यवस्था जवाब दे गयी हैं। यहां पर सड़क पर पार्किग होने के अलावा पेयजल के लिए गंगाजल पर निर्भर रहना पड़ता है। स्थिति यह है कि जिन दिनों यहां गंगाजल की आपूर्ति बंद होती है, उन दिनों यहां पेयजल के लिए हाहाकार मच जाता है। वर्तमान में यहां गाडि़यां सड़कों पर खड़ी होती हैं। इसके लिए बिल्डर के अलावा जीडीए पूरी तरह से दोषी है।
-लागत और मुनाफे ने बढ़ाया अवैध निर्माण
दो दशक पूर्व जब जीडीए की वैशाली कालोनी विकसित होनी शुरू हुई, उस समय यहां बसने वालों की कम मारामारी थी। लेकिन दस साल पहले यहां एक प्लाटों पर बहुमंजिला भवनों का निर्माण शुरू हुआ। इस दौरान आम लोग अधिक मुनाफे के चक्कर में बिल्डरों को भूखंड बेचकर चले गए। उसी समय से बिल्डरों ने भूखंडों पर तीन से चार मंजिला भवनों का निर्माण शुरू किया। लागत और मुनाफे के चक्कर में बिल्डरों ने तीन चार फ्लैटों का निर्माण शुरू किया।
-मानकों के विपरीत हुआ निर्माण
नियमानुसार एकल यूनिटों पर अधिकतम ढाई मंजिला इमारतों का निर्माण हो सकता है। लेकिन एक भूखंड पर न्यूनतम तीन और चार फ्लैट तक बनाए गए। बिल्डरों की इस कारस्तानी में जीडीए की मदद मिली। जीडीए ने अवैध निर्माण रोकने की कोशिश नहीं की बल्कि परोक्ष रूप से बढ़ावा ही दिया। इसका नतीजा रहा कि आज भी यहां अवैध फ्लैटों का निर्माण हो रहा है।
-घट रहीं सुविधाएं
वैशाली में बढ़ रहे अवैध निर्माण के कारण यहां लगातार बुनियादी सुविधाएं घट रही हैं। एक भूखंड से तीन से चार फ्लैटों के निर्माण के कारण यहां हर तरह की बुनियादी सुविधाएं घट रही हैं। सीवर समस्या यहां आम हो गयी है। पेयजल के लिए यहां के लोगों को गंगाजल पर निर्भर रहना पड़ता है। क्षेत्र में कनेक्शनों की संख्या बढ़ने के कारण बिजली आपूर्ति भी प्रभावित रहती है। इस संबंध में जीडीए उपाध्यक्ष नरेंद्र कुमार चौधरी का कहना है कि समय समय पर यहां की सड़कों का निर्माण कराया जाता है। अवैध निर्माण रोकने के लिए उचित कार्रवाई की जाती है।


अरबों का एक और भूमि घोटाला

Nov 16, 10:01 pm
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो : फर्जी कॉलोनियों की तपिश से झुलस रही दिल्ली सरकार पर एक और जमीन घोटाले का आरोप लगा है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि दिल्ली सरकार और यहा के बड़े भू-माफियाओं ने मिलकर राजधानी में अरबों रुपये का भूमि घोटाला किया है। उन्होंने घोटाले में बड़े लोगों की लिप्तता को देखते हुए इस भूमि घोटाले से संबंधित सभी दस्तावेज तुरंत सील करने की माग दिल्ली के उपराज्यपाल से की है।
विजेंद्र गुप्ता ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि डीएनडी फ्लाईओवर के दोनों तरफ खाली पड़ी जमीन को गंगा विहार अनधिकृत कॉलोनी दिखाकर सत्तादल के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अस्थायी प्रमाण पत्र हासिल कर लिया है। यह कॉलोनी 200 एकड़ भूमि पर बसी दिखाई गई है। खाली पड़ी यहां की जमीन दिल्ली सरकार द्वारा प्राप्त अस्थायी प्रमाण पत्र दिखाकर 50 से 70 हजार रुपये वर्गमीटर के बीच बेची जा रही है।
गुप्ता बताते हैं कि कुछ प्रभावशाली बड़े लोग इस बहुमूल्य जमीन की खरीद-फरोख्त में शामिल हैं। यह घोटाला राधाकृष्ण विहार, कोटला महीगराम एक्सटेंशन, जसोला, सरिता विहार तथा अबुल फजल एंकलेव पार्ट-2 घोटाले के अतिरिक्त है। गंगा विहार किलोकरी गाव निकट कालिंदी कुंज के इस घोटाले के अतिरिक्त इसी तरह का एक अन्य घोटाला तैमूर नगर एक्सटेंशन में भी किया गया है। यहां भी मामला अरबों रुपये का है।
गंगा विहार कॉलोनी की भूमि का अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण कानून की धारा-4 केतहत डीडीए ने 23 जून 1989 को किया था। धारा 6 और 17 के तहत 22 जून 1990 को 27 रुपये वर्गमीटर की दर से मुआवजा देकर इस भूमि का कब्जा भी दिल्ली विकास प्राधिकरण ने ले लिया था। यह मुआवजा किसानों को कम लगा और वे इसके विरुद्ध अतिरिक्त जिला जज की अदालत में गए। एडीजे ने मामले को जनहित में संगीन मानकर स्वयं मौका-मुआयना किया। उन्होंने मौके पर पाया कि पूरी जमीन खाली पड़ी है और उस पर सिर्फ एक मंदिर तथा एक समाधि का निर्माण हुआ है। जमीन खाली थी, इसलिए जून 2011 में अदालत ने इसका मुआवजा 27 रुपये से बढ़ाकर 89 रुपये वर्गमीटर के हिसाब से भुगतान करने का आदेश डीडीए को दे दिया।
डीडीए के रिकार्ड में इस भूमि का एवार्ड संख्या 14, 15, 16, 18 दर्ज है। किलोकरी गाव के किसान 27 रुपये और 89 रुपये के मुआवजे के चक्कर में परेशान हैं और इसी बीच भू-माफिया ने इस बहुमूल्य जमीन को अनधिकृत कॉलोनी बसी दिखाकर इसका अस्थायी प्रमाण पत्र सोनिया गाधी और मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के हाथों अक्टूबर 2008 में हासिल कर लिया। इस अस्थायी प्रमाणपत्र पर तत्कालीन राजस्व मंत्री राजकुमार चौहान के हस्ताक्षर हैं।
गंगा विहार कॉलोनी का खुद मौका-मुआयना करने के बाद विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि डीएनडी फ्लाईओवर के दोनों तरफ स्थित इस कॉलोनी की भूमि पर कोई भी मकान नहीं बना है। जमीन एकदम खाली पड़ी है। यहा सिर्फ एक मंदिर तथा एक मजार है। उन्होंने बताया कि काग्रेस सरकार द्वारा अस्थायी प्रमाणपत्र बाटने में भी जबरदस्त घोटाला किया गया है।